2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी ने एक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' शुरू किया। मन की बात के साथ मोदी जनता से जुड़ा रहना चाहते हैं। मन की बात अक्टूबर 2014 से फरवरी 2017
तक 27 एपिसोड पुरे किये।
मोदी की रणनीति है कि वो मन की बात के माध्यम से भारत की जड़ों तक पहुच जाएँ, लेकिन केवल अपने आत्म सम्मान के लियें, उन्हें भारत को एक नहीं करना। उन्हें मन की बात से अपनी नीतियों
को बढावा देना है और कुछ नहीं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अधिकांश बात करते है कि मुसलमान 'मुख्य धारा' में शामिल हों। 'मुख्य धारा' का मतलब आज तक तो समझ नहीं आया! भारत के मुसलमानों ने खुशी से भारत कि संस्कृतियों और परंपराओं को अपनाया है। मुस्लिम दुल्हन शादी के समय लाल रंग का जोड़ा पहेनती है; जो अरब क्षेत्र में सफेद था। मुस्लिम महिलाऐं भारतीय कपड़े पहनती हैं। मुस्लिम पुरुषों ज्यादातर भारतीय पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, लेकिन अभी भी वे 'मुख्य धारा' में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा करार नहीं पासके हैं। ऐसा तो नहीं कि ये कट्टरपंथी (भाजपा और आरएसएस) अंतर जाति विवाह को मुख्य धारा मानते हैं?
परिदृश्य में परिवर्तन बहुत हुवा है लेकिन अभी भी मुख्य धारा के बारे में भाजपा और आरएसएस बात क्यूँ करते हैं! आरएसएस ने तो अब अपनी पोषक जो पहले निकर थी बदल दी है और वे अब पूरी पैंट
पहनने लगे हैं, क्या ये बदलाव नहीं है? जबकि मुसलमानों ज्यादातर अब पैंट पहनते हैं; जो आम तौर पर पजामा पहनना करते थे। आरएसएस नए तो पैंट अब पहनना शुरू किया है जबकि मुसलमानों ने इसे बहुत पहले अपनाया था। मन की बात आजकल प्रचलित है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा ने राष्ट्र पिता (महात्मा गांधी) का अपमान किया है। वीर सावरकर ने जिन्नाह से पहले दो राष्ट्रों कि बात कि थी। क्या कभी किसी मुसल्मान नए महात्मा गांधी का अपमान किया है! लेकिन फिर भी मुसलमानों मुख्य धारा का हिस्सा नहीं हैं। मुसलमानों भारत में हर उद्योग में शीर्ष स्तर पर हैं परुन्तु मुख्य धारा में नहीं हैं; बॉलीवुड में सबसे ज़ियादा मुस्लिम
हैं, परुन्तु वे मुख्य धारा में नहीं हैं; भारत में मुस्लिम राष्ट्रपती था और वर्तमान में उप राष्ट्रपति मुसलमान हैं, फिर भी मुसलमानों मुख्य धारा में नहीं हैं। क्या आरएसएस या भाजपा कार्यकर्ता / नेता इस शब्द 'मुख्य धारा' का छिपा राज़ समझा सकता हैं? मन की बात स्पष्ट हो जानी चाहिए!
भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का इतिहास है जो शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक है उसको दोबारा लिख रहे हैं। वे हमारी समृद्ध इतिहास के तथ्यो को तोड़ मरोड़ के लोकप्रिय करने में व्यस्त हैं। राणा प्रताप को मुग़लो के खिलाफ महान सेनानी के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन वास्तविक तथ्य राणा प्रताप की दादी; रानी कर्णावती ने मुग़ल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी, उसे भाई बुलाया और मदद के लिए पुकारा, जब बहादुर शाह (गुजरात के शासक) द्वारा हमला किया गया था। जिस समय रानी कर्णावती कि राखी हुमायूँ के पास पहुची वो खाना खा रहे थे, उन्होंने
अपने सलाहकार से पूछा कि राखी क्या है, जब सलाहकार ने राखी का महत्त्व बताया तो हुमायूँ त्रुंत
खाना छोड़ के खड़े हो गए। सलाहकार ने खाना छोड़ने का कारण
पूछा तो बादशा से कहाँ कि "बहन का सम्मान भोजन की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है!” बहादुर शाह मुग़ल के सामने नहीं टिक पाया
और इस तरहां मुग़ल सम्राट हुमायूँ ने राजपूत रानी कर्णावती कि मदद कि। 'भाजपा और आरएसएस के लोग इस पहलू का प्रचार कभी नहीं करते; बजाय झूठा चित्रित राणा प्रताप का दिखने कि कोशिश करते हैं। मन की बात महत्वपूर्ण है, परुन्तु भाजपा और आरएसएस हमारे देश के शांतिपूर्ण को नष्ट करने कि किवायत में
लगे हैं। आरएसएस और भाजपा ब्लॉगर्स पोस्ट कर रहे हैं कि सम्राट हुमायूं रानी कर्णावती की मदद करने के लिए कभी नहीं गए, इसके पीछे इनका मकसद ज्ञात नहीं होता।
हैरानी की बात है कि भाजपा शासन प्रदेश राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने अपने मन की बात कही,
"क्यों हिंदु गाय का सम्मान करते हैं, कारण यह है कि गाय केवल जानवर जो ऑक्सीजन सांस छोड़ती है...!" आरएसएस और भाजपा भारत के इतिहास ही नहीं बल्कि जल्द ही वे रसायन विज्ञान, भौतिकी, जीव विज्ञान, आदि की अवधारणाओं को भी बदल देंगे।
यह सब उनकी मन की बात है, जो देश में अशांति की स्थिति पैदा कर रही है। मोदी ने अपने मन की बात सुनी और नोट बन्दी की घोषणा की, बिना अपने कदम के नतीजे समझे हुवे। आत्मा की बात मन की बात से ज्यादा महत्वपूर्ण है! आत्मा हमेशा सच बोलता है, जबकि मन स्वार्थी इच्छा है। मोदी जी बेहतर हो आप अपने विचार प्रक्रिया को बदलने और भगवान कृष्ण की
कथनी जो उन्होंने महाभारत में कहा, पर विचार करें। दिल की आवाज से आत्मा की आवाज का पालन करना चाहिए, "मान रथ है, इन्द्रियां उसके घोड़े और मस्तिष्क चालक। इसलियें
मन को मारना सीखो!"
Declaimer: विचारों लेखक के विवेकाधिकार कर रहे हैं...
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